Tuesday, March 27, 2012




nature pe shayari



उफ्फ! यह गर्मी, और यह धूप

न दिखे हरी घास का कोई तिनका

पंछी ने भी आमबर से मुह मोड़ लिया

न गूँजे मधूर संगीत, न दिखती तितलिय

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